युद्ध समस्या का समाधान नहीं है

2/17/20251 min read

शाक्य राज्य के दूसरी ओर कोली राज्य था दोनों की सीमाओ को बांटते हुए बीच में से रोम नदी बहती थी शाक्य भी कोली भी रोम नदी के पानी से ही अपने खेतों की सिंचाई करते थे और यदा कदा झगड़े होते रहते थे मार पिटाई होती थी और कई बार ऐसा हुआ इस बार भी कोली और शाक्य के लोगों के बीच में झगड़ा हुआ जब ये बात सेनापति को पता लगी तो सेनापति ने संघ की बैठक बुलाई और बैठक में प्रस्ताव रखा कि हमें पता चला है कि कोलो ने हमारे लोगों पर आक्रमण किया है और यह पहली बार नहीं हुआ पहले भी बहुत बार हुआ है क्यों ना हम एक बार युद्ध करके इसका सदा के लिए निराकरण कर दे तो सेनापति युद्ध के लिए संघ का समर्थन चाहता था सिद्धार्थ गौतम ने खड़े होकर के कहा युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है अगर युद्ध करके हम समाधान ढूंढेंगे तो इस बात को याद रखना चाहिए एक युद्ध जब शुरू होता है तो दूसरे युद्ध का बीजारोपण हो ही जाता है अगर कोई किसी की हत्या करता है तो उसे दूसरा कोई हत्यारा मिल ही जाता है अगर कोई चोरी करता है उसको दूसरा कोई चोर चोरी करने वाला मिल ही जाता है अगर कोई व्यक्ति किसी को लूटता है तो उसको लूटने वाला व्यक्ति मिल जाता है तो मेरा कहना है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है हम कभी भी वैर को वैर से समाप्त नहीं कर सकते अगर वैर को समाप्त करना है तो अवैर ही चाहिए हम वैर को दुश्मनी को खत्म करना चाहते तो हमें प्रेम ही करना चाहिए तो मेरा संघ से अनुरोध है इस प्रस्ताव का समर्थन ना करे और युद्ध की बजह हमें दूसरे साधनों से इस पर विचार करना चाहिए और जहां तक मैंने सुना कि जो झगड़ा हुआ है उसमे हमारे लोग भी गलती पर थे हमारे लोग भी आक्रामक थे तो मैं कह सकता हूं कि शाक्य के लोग भी दोष से सर्वथा मुक्त नहीं है और जब हम लोग भी दोषी है तो फिर इसी काम के लिए युद्ध लड़ने का कोई उचित निर्णय नहीं है इस सिद्धार्थ हिमत की पहली बार अपने लोगों की गलती को स्वीकार किया और सेनापति ने स्वीकार किया ये बात सच है कि शाक्य की भी गलती है लेकिन बार बार होने वाले झगड़ों को नितांत करके हम एक बार फैसला करले सिद्धार्थ ने यह भी कहा इस प्रकार की छोटी छोटी गलतियां करके हम पहले भी बहुत कुछ गवा चुके हैं कश नरेश ने हमारे बहुत सारे अधिकार छीन लिए हैं अगर इस बार भी युद्ध करेंगे तो हो सकता है कि हमारा शाक्य राज और शक्ति खो दे इसका समाधान और सिद्धार्थ गौतम ने एक समाधान दिया कि सारे मेरी बात पर गौर करें कि हम दो व्यक्ति शाक्यो की और से चुनते हैं और दो व्यक्तियों का चुनाव कोली करके भेजे फिर चार लोग मिल कर एक पांचवी व्यक्ति का चुनाव करें और वो पांचों व्यक्ति मिलकर के जो भी फैसला करेंगे जो भी निर्णय करेंगे दोनों पक्ष उसको स्वीकार करें ऐसा करके हम झगड़े को भी खत्म कर सकते हैं और युद्ध की संभावना को भी खत्म कर सकते हैं बिना किसी जनहानि के बिना किसी धन हानि के हम इस समस्या का समाधान कर सकते हैं और एक पक्ष और भी हो सकता है यह नदी दोनों के चाहे शाक्य है और चाहे कोली दोनों उसी से पानी लेना है तो पानी लेने का एक समाधान किया जा सकता है कि अमावस्या से पूर्णिमा तक एक पक्ष पानी ले ले और पूर्णिमा से अमावस्या तक दूसरा पक्ष पानी ले ले इस प्रकार से को झगड़ा भी नहीं होगा और पानी की समस्या का भी अंत होगा चूंकि सेनापति युद्ध चाहता था सेनापति युद्ध के अलावा कुछ और नहीं सोच रहा था उसने सिद्धार्थ की बात को नहीं माना सिद्धार्थ के प्रस्ताव पर मत मांगा सिद्धार्थ के प्रस्ताव पर लोग सहमति देने की बजाय सेनापति के पक्ष में खड़े हुए इसके बाद सिद्धार्थ ने हार नहीं मानी अगले दिन बैठक फिर शुरू हुई उस बैठक का मकसद था कि युद्ध के लिए सेना में भर्ती अभियान शुरू किया जाए सेनापति ने प्रस्ताव रखा कि जो भी शाक्य जिसकी उम्र 20 वर्ष से 50 वर्ष के बीच में है उसे अनिवार्य से सेना में भर्ती होना होगा लेकिन सिद्धार्थ गौतम ने इसका विरोध किया दोनों पक्ष मौजूद थे बैठक में सिद्धार्थ के पक्ष में भी और विरोध में भी जो सिद्धार्थ के पक्ष में थे यदि वो अल्प मत में थे अल्पमत में होने के बावजूद भी वह उनके आगे झुकना नहीं चाहते थे लेकिन जब सेनापति ने प्रस्ताव रखा तो किसी की हिम्मत नहीं हुई कि बहुमत के सामने बोल सके सिद्धार्थ गौतम ने देखा कि कोई भी व्यक्ति खड़ा नहीं हो रहा है तो सिद्धार्थ स्वयं खड़े हुए और सेनापति को कहा कि मैं इस प्रस्ताव को स्वीकार करता ना तो मैं युद्ध लडूंगा ना मैं सेना में भर्ती होगा अब यह बात कहना कोई कम दशास नहीं था सेनापति को बहुत बुरा लगा क्रोध भी आया सिद्धार्थ को याद दिलाया कि जब तुमने संघ की सदस्यता ली थी तो संकल्प किया था कि आप साथियों के प्रति शाक्यो हितो की रक्षा के लिए काम करेंगे आप अपने वचन से पीछे नहीं हट सकते सिद्धार्थ ने कहा कि मैं अपने वचन से पीछे नहीं हट रहा हूं लेकिन मैं देख रहा हूं युद्ध शाक्यो के हित में नहीं है और जो काम साखियो के हित में नहीं है मैं उसका विरोध करता हूं और युद्ध को समस्या का स सन नहीं है सेनापति ने याद दिलाया कि बहुमत से लिए गए निय का विरोध करने का मतलब है आपको सजा मिलना और सजा भी क्या है या तो आपको आपके माता पिता की सारी संपत्ति को जपत कर लेना उनका सामाजिक बहिष्कार करना या फिर फांसी देना और देश निकालना या फिर आपको सेना में भर्ती हो करके लड़ना होगा सिद्धार्थ ने कहा कि सेना में भर्ती होकर के लड़ने का तो कोई सवाल ही नहीं सेना में भर्ती होकर के लड़ने का काम तो मैं बिल्कुल भी नहीं करूंगा और मेरे निय से मेरे माता पिता को संप से बेदखल किया जाए उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाए ये मैं कभी स्वीकार नहीं करूंगा लेकिन जो तीसरी बात है कि मैं फांसी के लिए तैयार हूं आप चाहे तो मुझे फांसी की सजा दे दे और चाहे तो मुझे देश निकाला दे दे मैं सजा के लिए तैयार हूं यद्यपि सेनापति जानता था कि सिद्धार्थ को फांसी देना देश निकाला देना परिवार की संपत्ति जत [संगीत] करना यह आसान नहीं था अगर कोशल राज को पता चलेगा तो सजा को पलट भी सकते हैं सेनापति को डर भी था लेकिन प्रभुत्व भी जमाना था सेनापति ने कहा मैं जानता हूं आप कोश नरेश को शिकायत करेंगे और इस प्रकार से संघ के आदेश की अलना भी होगी लेकिन सिद्धार्थ गतम ने [संगीत] कहा कि मैं साक्य संघ का सदस्य हूं और मैं साक संघ के सदस होने के नाते किसी प्रकार के सिद्धांत की अलना नहीं करूंगा नाराज को शिकायत करूंगा और शिकायत का अवसर दूंगा आप चाहे तो मुझे फांसी या देश निकाला की सजा दे सकते हैं लेकिन सभी संशय में थे असमस में थे कि सिद्धार्थ को कैसे फांसी की सजा दी जाए या कैसे देश निकाला दिया जाए इसका भी समाधान सिद्धार्थ गौतम ने खुद दिया सेनापति से कहा कि आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है आपको डरने की आवश्यकता नहीं है मैं स् ही ग्रह त्याग करने का फैसला करता हूं मैं ग्रह त्याग कर लूंगा मैं सा के प्रदेश को छोड़ दूंगा इस प्रकार से कौशल नरेश को भी इसका कारण नहीं पता लगेगा और ना ही आपको कोई आच आएगी क्योंकि मैंने संघ का सदस्य होने के नाते जो वचन दिया था मैं चाहता हूं कि य युद्ध ना लड़ा जाए सिद्धार्थ ने फैसला किया यद संशय था सेनापति को तो भी विश्वास करने के अलावा कोई मार्ग नहीं था तो किसी एक सदस्य ने खड़े हो कर के कहा कि मेरी बात भी ध्यान से सुनो जब फैसला होही चुका है सिद्धार्थ ने ग्रह त्याग करने का फैसला कर ही लिया है पजत हो कर के त्याग करने का फैसला कर ही लिया है तो कौशल राज को भी कभी इस बात का पता ना लगे तो बेहतर होगा कि हम युद्ध को थोड़े समय के लिए छोड़ दे स्थगित कर दे ताकि कौशल राज इससे कोई संबंध स्थापित ना कर सके इस प्रकार से हम दोनों का हित होगा और इस प्रकार से सिद्धार्थ ने ग्रह त्याग करने का फैसला लिया प्रबु उपासक उपास का यह विषय इसलिए गंभीर है इसलिए चिंतन का विषय है कि सिद्धार्थ गौतम ने सत्य का साथ दिया मानवता का साथ दिया साक को य तो नजदी के स संबंधी थे लेकिन र भाव तो आपस में होता ही है सेनापति ने कहा युद्ध तो भाई भाई में लड़ा जाता है लेकिन सिद्धार्थ ने किसी भी परिस्थिति में युद्ध को लड़ने के लिए दिया भले ही अल्पमत में थे भले सभी लोग युद्ध करना चाहते थे तो नि हो करके सिद्धार्थ ने युद्ध का विरोध किया य परिस्थिति थी कि मानवता के हित के लिए जनता के कल्याण के लिए उने देश निकाला स्वीकार कर लिया लेकिन अपने वचन से पीछे नहीं हटे युद्ध का समर्थन नहीं किया बहुमत के आगे समर्पण नहीं किया सा के स युद्ध करना चाहता था और सिद्धार्थ युद्ध को टालना चाहते थे और एक व्यक्ति के द संकल्प ने एक व्यक्ति के साहस ने युद्ध की उस परिस्थिति को टाल दिया और सबसे महत्त्वपूर्ण बात युद्ध कुछ समय के लिए ला था लेकिन दोबारा कभी वो युद्ध हुआ ही [संगीत] नहीं तो मैं कहना चाहता हूं कि सिद्धार्थ का ग्रह त्याग एक साहस और पराक्रम की पराकाष्ठा थी सिद्धार्थ का ग्रह त्याग जो अन्याय की अवधारणा थी जुम की अवधारणा थी युद्ध के माध्यम से हजार लोगों के मारने की अवधारणा थी मात्र अहंकार की के लिए सिद्धार्थ ने उसका विरोध किया अल्प मत में रहते हु भी यह बात हमारी समझ में आनी चाहिए कि सिद्धार्थ का ग्रह त्याग कायरता नहीं है कि बीमार को देखा तो घबरा गए बूढ़े व्यक्ति को देखा तो घबरा गए किसी मृत व्यक्ति को देखा तो डर गए बुध का त्याग पलायन नहीं है डर नहीं है बुध का त्याग निडरता के साथ बहादुरी के साथ गलत बात का विरोध करना और सच के साथ खड़े होना है और हमें इससे प्रेरणा लेनी चाहिए भले हम अल्प मत में हो लेकिन हम सच के साथ हो मानवता के साथ हो और मानवता के हित के लिए हमें मजबूती के साथ उसका विरोध करना चाहिए