छोटा लक्ष्य अपराध है / Low aim is a crime!

2/20/20251 min read

जो-जो बाबा साहब ने कहा बस वही नहीं किया बाकी सब वही करें हमारी इच्छाओं में है। बाबा साहब ने कहा - low Aim is a crime छोटा लक्ष्य अपराध है और छोटा लक्ष्य प्राप्त क्यों कहा ?छोटा लक्ष्य प्राप्त इसलिए कहा की छोटा लक्ष्य बनाने में तकलीफें कुछ नहीं है और छोटा लक्ष्य पूरा करने के लिए पाने के लिए जब प्रयास करते हैं हम कामयाब हो जाते हैं और प्रत्येक कामयाबी हमें खुशी देती है हम बड़े खुश होते हैं एक लक्ष्य पा लिया।अब एक लक्ष्य पूरा हो गया, तो अगला लक्ष्य शुरू हो जाता है फिर एक छोटा लक्ष्य बन जाता है फिर एक छोटा लक्ष्य बनेगा ।जितनी जितने छोटे लक्ष्य पूरे होते चले जाएंगे उतनी ही छोटे लक्ष्य और बन जाते हैं हमें देखकर के दूसरे लोग भी छोटा लक्ष्य बना लेते हैं और छोटे-छोटे लक्ष्य मिलते हैं अपना अपना कम करते हैं लेकिन कभी भी एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते और हमारी शक्ति छोटे-छोटे उद्देश्यों में खत्म हो जाती है बड़े उद्देश्य छूट जाते हैं यही बात बाबा साहब ने कहा - low Aim is a crime क्राइम, छोटे लक्ष्य मत बनाना ।बड़े लक्ष्य के लिए कम करो चाहे वो लक्ष्य हमारे जीवन में पूरा हो या ना हो अगली पीड़ित पूरा करेगी लेकिन लक्ष्य बड़ा होना चाहिए इसलिए बाबा साहब ने हमें कुछ सिद्धांत दिए educate agitate and organise हिंदी में क्या बोलते हैं पढ़ो ,जूडो,संघर्ष करो। पढ़ो -एजुकेटेड , पढ़ो या पढ़ाओ हमें शब्दों में भी अपना हित देखते हैं उसके बाद क्या था पढ़ो या जूडो agitate आंदोलन करना, प्रेरित करना ,मोटिवेट करना जब हम कोई एजुकेशन देते हैं किसी का एजुकेट करते हैं उसे बात को सुनने के लिए कोई व्यक्ति जब प्रेरित होता है आन्दोलित होता है उसको एडिट कहते हैं । मैंने कहा चलो हम इस दीवार को गिराएंगे आप मेरी बात को सुन करके जिंदाबाद बोलने लगते हो और दीवार गिरा देते हो । यह agitate हो गया मैंने कहा की आज रात भर जागेंगे आपका ठीक है जी हम जागेंगे यह agitate हो गया । यानी उसे विचार को सुनने के बाद जब हमारा मन उसे स्वीकार करता है और उसको करने के लिए प्रेरित हो जाता है । वह agitate था । agitate के बाद an organise इसका मतलब था अब संगठित हो जाओ जैसे मैं फिर समझा रहा हूं जैसे महाकारुणिक बुद्ध ने उपदेश दिया देशना दी उसको सुनकर के रूपांतरित हो गया निर्णय लेता है की मैं भिक्षु बनूंगा और वह भिक्षु बन जाता है उसका भिक्षु बनने का भाव पैदा होना भिक्षु बन जाना agitate हो गया दूसरी जगह कोई भिक्षु बना तीसरी कोई भिक्षु बना। तीनों एक जगह इक्कठे हुए और वह भिक्षु संघ बन गया। वह organise हो गया। बुद्ध ने एक विचार दिया,उसको सुनकर की कोई व्यक्ति वहां चलने लगा उसे पर ऐसे से बहुत सारे लोग हो गए बुद्ध की शरण में गए उपासक थे ,ग्रस्त थे वो बुद्ध के उपासक बन गए वह संघ बन गया पहले एजुकेट करना होता है एजुकेट करने के बाद व्यक्ति एजिटेट हो जाता है और एजीटेट होने के बाद जब लोग ऑर्गेनाइज होते हैं उनका एक मकसद होता है लेकिन यह क्या हुआ यह किसी अनपढ़ व्यक्ति का दोष नहीं है पंजाब वालों ने हिंदी को ही पंजाबी में बदला ,अंग्रेजी को पंजाबी में ही बदला, अंग्रेजी को हिन्दी में पढ़े लिखे लोगों ने बदला कैलेंडर बना दिये शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो ,..........किताब भी लिख दी शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो पत्थरों पर लिख दिया और ये 65 वर्षों में किसी ने खोल करके देखा तक नहीं ...की एजुकेट एजिटेट एंड ऑर्गेनाइज्ड का अर्थ क्या है। मान्यवर साहब काशीराम जी किसी भाषण को देखना उन्होंने सही अर्थ बोला है हर बार ..लेकिन हम लोगों ने क्या किया जो हमारी समझ में आए गया हमने वो काम किया ,हमने एजुकेट बनो का इसलिए कोई एजुकेट बन जाए ऐसा कोई काम ही नहीं किया हां थोड़े से प्रयास किए आपने एक दो school start किए है बहुत छोटा सा प्रयास फिर एजिटेट ,,,, एजीटेट कौन करे? जो एजुकेट कर रहा है वो ही एजीटेट कर रहा है एजुकेट करने वाला खुद ही अगर एजिटेटेड नहीं है तो समाज का एजीटेट कैसे करेगा। मैं बहुत भिक्षु हूं। मैं बुद्ध की बात करूंगा तो ही आपकी समझ में आएगी क्यों आएगी?क्योंकि वह परीक्षा पास करके आया हूं। अगर मैं भिक्षु ना बनू आपकी तरह से खड़ा होकर के बोलूं मेरी बात कितने लोग समझेंगे ।मिशन में भी एजीटेट होना था अब एजीटेट हो करके लोग एजुकेट होते जब कुछ लोग बाहर निकल कर आते वह संगठित होते। तब ऑर्गेनाइज का कम हो रहा था हम पहले लोगों की इकट्ठा करते ,संगठन बनाते हैं ,संगठन बड़ा करके एजुकेट करो ,और एजुकेट किस लिए करो संघर्ष करने के लिए, अब ये तीनों ही बातों का क्रम भी उल्टा है ,कमभी उल्टा है , दिशा भी उल्टी है इसलिए बाबा साहब का दिया हुआ सूत्र भी असफल हो गया हमारी बुद्धिमत्ता के कारण मेरी बात समझ में आई या नहीं आई कुछ लोग भ्रमित हो सकते हैं मैं तो उदाहरण इसलिए दे रहा हूं ताकि बात समझ में आ जाए