सिद्धार्थ गौतम-किस प्रकार बोधिसत्व से बुद्ध बने / Siddhartha Gautama-How he became Buddha from Bodhisattva

5/17/20251 min read

जन्म से पब्जी (प्रव्रज्या) तक

1.उनका कुल
1. अतीत में देखने पर हमें ज्ञात होता है कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी में, उत्तर भारत कोई समूचा प्रभुता-संपन्न राज्य नहीं था।
2. देश अनेक छोटे-बड़े राज्यों में बंटा हुआ था। इनमें से कुछ राज्यों में प्रत्येक पर जहां एक अकेले राजा का अधिकार था, वहीं कुछ पर किसी अकेले राजा का अधिकार नहीं था।
3. जो राज्य राजाओं के अधीन थे उनकी कुल संख्या सोलह थी। उनके नाम थे- अंग, मगध, कासी, कोसल, वज्जी, मल्ल, चेदि, वत्स, कुरु, पाञ्चाल, मत्स्य, सूरसेन, अस्मक, अवंति, गांधार तथा कंबोज ।
4. जिन राज्यों में किसी एक राजा का आधिपत्य नहीं था, वे थे-कपिलवस्तु के शाक्य, पावा तथा कुसीनारा के मल्ल, वेसाली के लिच्छवि, मिथिला के विदेह, रामगाम के कोलिय, अल्लकप्प के बुलि, केसपुत्त के कालाम, रेसपुत्त के कलिंग, पिप्पलवन के मौर्य तथा भग्ग जिनकी राजधानी सिंसुमारगिरि थी।
5. जिन राज्यों पर किसी एक राजा का अधिकार था वे जनपद कहलाते थे और जिन राज्यों पर किसी एक राजा का अधिकार नहीं था वे संघ या गण कहलाते थे।
6. कपिलवस्तु के शाक्यों की राज्य-व्यवस्था के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त नहीं है कि वहां गणतंत्र था अथवा कुछ लोगों का कुलतंत्र था।
7. वैसे, इतनी जानकारी तो स्पष्ट रूप से है ही कि शाक्यों के गणतंत्र में कई शासक-परिवार थे और वे एक के बाद एक क्रमशः शासन करते थे।
8. शासक-परिवार का जो मुखिया होता था, वह राजा कहलाता था।
9. सिद्धार्थ गौतम के जन्म के समय राजा बनने की बारी शुद्धोदन की थी।
10. शाक्य-राज्य भारत के उत्तर-पूर्वी कोने में स्थित था। यह एक स्वतंत्र राज्य था। लेकिन आगे चलकर कोसलराज इस पर अपना आधिपत्य जमाने में सफल हो गया।
11. इसका परिणाम यह हुआ कि कोसलराज की स्वीकृति के बिना शाक्य राज्य के लिए अपने कुछ राजकीय अधिकारों का उपयोग असंभव हो गया।
12. उस समय के राज्यों में कोसल एक शक्तिशाली राज्य था। मगध राज्य भी ऐसा ही था। कोसलराज पसेनदि (प्रसेनजित) और मगधराज विम्बिसार दोनों सिद्धार्थ गौतम के समकालीन थे।