यह कहानी आपके जीवन को बदल देगी This Story will Change your Life

3/7/20251 min read

एक छोटी सी कहानी है आप समझेंगे तो जीवन को बदलने में सहायता मिलेगी एक बिच्छू था नदी के किनारे पर रहता था उसके मन में एक ख्याल आया कि न जाने नदी का दूसरा किनारा कैसा होगा मुझे नदी के दूसरे किनारे पर जाना चाहिए जब उसके मन में ख्याल आया कि मुझे नदी के दूसरे किनारे पर जाना चाहिए जिसके मन में चाहत होती है प्रयास वही करता है बिना चाहत के प्रयास नहीं होता है तभी बिच्छू के मन में ख्याल आया कि मुझे नदी की दूसरे किनारे पर जाना चाहिए तो पानी में उतर और नदी पार करने के लिए तैरने लगा लेकिन नदी का भाव बहुत ज्यादा था बिच्छू तैर नहीं पा रहा था डूबने लगा तो वापस आ गया थोड़ी देर के बाद फिर नदी में उतर तैरने लगा लेकिन भाव तेज था वापस आ गया कई बार नदी में उतर हर बार भाव तेज था तैरना आसान नहीं था तो बिच्छू वापस आ जाता हर बार उसकी इच्छा टूट जाती फिर उसके मन में दोबारा ख्याल आया कि पता नहीं नदी का दूसरा किनारा कैसा होगा मुझे अवश्य उसके नर पर जाना चाहिए "जहां चाहा वहां रहा" यह बात भी सिद्ध होती है जो बार-बार प्रयास करता है उसको रास्ता मिल ही जाता है बार-बार प्रयास करने पर भी बिच्छू नदी पर नहीं कर पा रहा था अचानक उसकी नजर कछुए पर पड़ी बिच्छू कछुए के पास गया और जाकर के कहने लगा है कछुए भाई मेरी मंशा है कि मैं नदी के दूसरे किनारे पर जाऊं दूसरा किनारा देखने की मेरी बड़ी प्रबल चाहत है लेकिन पानी का भाव बहुत ज्यादा है मैं तैर नहीं पा रहा तुम तो तेराक हो सादा पानी में तैरते रहते हो अगर तुम मेरी थोड़ी सी सहायता कर दो तो मैं नदी के पार चला जाऊं कछुए ने देखा की पहली बार मुझसे कोई साथ सहायता मांग रहा है जब से मैं पैदा हुआ हूं तब से मैं तैयार रहा हूं अपने लिए तैयार हूं आज मुझे किसी ने कहा है नदी पार करवाने के लिए इसे बेहतरीन मेरे लिए कोई अवसर नहीं है कछुए ने तुरंत कहा कि है भाई तुम मेरी पीठ पर बैठो और मैं तुम्हें नदी पर करवाता हूं बिच्छू कछुए की पीठ पर बैठा और कछुआ नदी में तैरने लगा अभी थोड़ी ही दूर गया था और बिच्छू ने कछुए की पीठ पर डंक मारा जैसे ही बिच्छू ने कछुए की पीठ पर डंक मारा कछुए ने पूछा कि है बिच्छू भाई तूने मेरी पीठ पर डंक क्यों मारा बिच्छू ने कहा भाई मुझसे गलती हो गई मुझे क्षमा कर दे कछुए ने कहा कोई बात नहीं गलतियां सबसे होती है चलो मैं तुम्हें क्षमा किया लेकिन दोबारा गलती मत करना यह का करके कछुआ फिर तैरता रहा फिर वह थोड़ा और आगे बढ़ा और फिर थोड़ी देर के बाद बिच्छू ने फिर डंक मारा फिर कछुए ने पूछा कि है बिच्छू भाई तूने मुझे बंक क्यों मारा बिच्छू ने कहां की है भाई मैं भूल गया था मुझे भूल हो गई इस बार भी माफ कर दो कछुए ने कहा चलो कोई बात नहीं भूल भी हो जाती है और भूल को माफ भी कर दिया जाता है चलो मैं भी माफ करता हूं लेकिन आगे ध्यान रखना ना गलती करना ना भूल करना कछुआ तैरता रहा ज्यों ही कछुआ पानी में डूबा बिच्छू चिल्लाने लगा भाई क्या कर रहा है मैं मर जाऊंगा सांस लेने में तकलीफ हो रही है पानी में डूबने से बचने के लिए तो तेरा सहारा लिया था और तू ही मुझे डुबो रहा है तू भी स्वभाव से मजबूर था डक पर डंक मारे जा रहा था स्वभाव से मैं भी मजबूर हूं मेरा भी स्वभाव डूब जाने का और मैं भी क्या करूं मामला स्वभाव का है बिच्छू ने कहा है भाई तेरे स्वभाव से तो मैं मर ही जाऊंगा मैंने तो नदी पार करने के लिए तेरा सहारा लिया था लेकिन तेरे स्वभाव से तो मैं डूब जाऊंगा मर जाऊंगा जैसे भी हो मेरा जीवन बचाओ कछुए ने कहा ध्यान से सोचो दोनों में से एक को बचाना है भाव को बचाना चाहते हो तो जीवन को मारना होगा, अगर जीवन बचाना चाहते हो स्वभाव को मारना होगा एक साथ नहीं रह सकते स्वभाव भी जिंदा रहे और जीवन भी जिंदा रहे यह नहीं हो सकता जल्दी ही फैसला कर मेरे पास समय नहीं मेरे पास बहुत कम समय है बिच्छू ने कहा सोचने का कहां समय है थोड़ी सी देर और की तो दोनों ही मर जाएंगे स्वभाव में मर जाएगा और जीवन भी मर जाएगा मैं भाई स्वभाव को मार लूंगा लेकिन मेरा जीवन बच जाए बिच्छू ने सही फैसला किया के जीवन बचाना चाहिए स्वभाव मारे मर जाए कछुआ बाहर निकाल कर आया बिच्छू की सांस फूली थी बिच्छू की जान में जान आई कछुआ फिर नदी पार करने लगा बिच्छू धैर्य के साथ बैठा रहा दोबारा नदी पर हो गई स्वभाव बिच्छू का भी बदल गया कछुआ जो ही नदी पर हुई बिच्छू नीचे उतरा अपनी मंजिल पर चला गया कछुआ पानी में लौट गया हम लोग जीवन बचाने की बात कर रहे हैं लेकिन संभव नहीं बदल रहे लेकिन जब स्वभाव बदल जाएगा तो जीवन अपने आप ही बच जाएगा यह बात महिलाओं के संदर्भ में है महिलाओं की गुलामी उनका स्वभाव है लेकिन स्वभाव के कारण वह डूबती हुई रहती है स्वभाव के कारण वह मरती भी रहते हैं स्वभाव के कारण ही वह गुलामी का जीवन की रही है जीवन जीने की चाहत अगर हमारे अंदर हो जाए श्रेष्ठ जीवन जीने का भाव अगर हमारे अंदर हो जाए उसके लिए जरूरी है कि हमेशा भाव बदलना होगा और स्वभाव बदलने में कुछ भी पैसा खर्च नहीं होता