व्यक्ति का पतन क्यों होता है Why does a person fall?
3/1/20251 min read


विश्व के महान् शास्ता सम्यकसम बुद्ध को सादर नमन प्रबुद्ध उपासक उपाशिकाओं प्रत्येक व्यक्ति जीवन में प्रगति चाहता है वह उन्नति चाहता है और लगातार उस दिशा में प्रयास भी करता है लेकिन कई बार व्यक्ति ऐसा भी कार्य करता है जिस से प्रगति की वजह पतन होने लगता हैं और ये सब अज्ञानता वस होता है कौन प्रगतिशील है कौन पतन की ओर ये जानना नितांत आवश्यक हैं इस को जाने बिना व्यक्ति कैसे जानेगा की व्यक्ति प्रगतिशील है या पतन की ओर जाने वाला है तथागत के द्वारा दिए हुए परावोसूत है एक बार तथागत अनाथ केंद्र के जेतवान विहार में ठहरे हुए थे ।ओर आधी रात बीतने के बाद रात्रि के लगभग तीसरे पहर में एक समाण तथागत के सामने उपस्थित हुआ उसके मन में जिज्ञासाएं थी आकर के उसने अभिवादन किया और एक ओर खड़े हो कर के पुछा कि हे-तथागत में आपके समक्ष यह जानने के लिए आया हूं कि व्यक्ति के पातन के कौन कौन से कारण हैं आप की बड़ी अनुकम्पा होगी अगर आप इस के बारे में बताए तो ।तब तथागत ने उस समाण को समझते हुए कहा कि एक व्यक्ति जो उन्नती में धम्म से प्रेम करता है धम्म के मार्ग पर चलता है वह हमेशा उन्नती की और जाता है ऐसे व्यक्ति को आसानी से पहचाना जा सकता है दूसरा व्यक्ति जो धम्म से प्रेम नहीं करता है अपितु वह धम्म से द्वेष करता है धम्म के मार्ग पर चलने की अपेक्षा वह अधम्म के मार्ग पर चलता है इस लिए उसका पतन होता है इससे उस व्यक्ति को भी आसानी से पहचाना जा सकता है उन्नतशील व्यक्ति को ओर पतन की ओर जाने वाले व्यक्ति को आसानी से पहचाना जा सकता है जो व्यक्ति अधम्म के मार्ग पर चल रहा है यह उसके पतन का पहला कारण है दूसरी ओर जिसको सतपुरुष अच्छे नहीं लगते है उनके द्वारे बताए गए मार्ग पर वह चलना पसंद नहीं करता है उनके द्वार दिए हुए धम्म की स्वीकार नहीं करता है बल्कि उसे असत्य पुरुष अच्छे लगते है उनका धम्म भी अच्छा लगता है जिस तरफ असत्य लोग जा रहे हैं वह उसी का अनुश्रण करता है यह उस व्यक्ति का दुसरा कारण है तीसरा कारण एक व्यक्ति जो निदरालु होता है आलसी रहता है ज्यादा सोए हुए रहता है वह परिश्रम भी नहीं करता जो लोग परिश्रम करते हैं वह उसे अच्छे नहीं लगते हैं जो व्यक्ति आलसी होता है, निदरालु होता है वह क्रोधी भी होता है बार-बार क्रोध करने वाला होता है अपने क्रोध का प्रदर्शन भी करता है उसे क्रोध की वजह से लड़ता-झगड़ता भी रहता है यह उसे व्यक्ति के पतन का तीसरा कारण है आगे चर्चा करते हुए तथागत ने कहा कि ऐसा व्यक्ति जिसके पास धन तो है लेकिन वह उसे अपने माता-पिता की सेवा नहीं करता है उनका पालन पोषण भी नहीं करता है उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं करता है इस प्रकार उसे धनवान होने का कोई अर्थ नहीं रहता है इसलिए तथागत ने कहा कि जो अपने माता-पिता की सेवा नहीं करता है उनकी आवश्यकताओं को पूर्ति पूर्ति नहीं करता है यह व्यक्ति के पतन का चौथा कारण है फिर तथागत नहीं कहा कि ऐसा व्यक्ति जो झूठ बोलकर के अच्छे लोगों को ठग लेता है अच्छे लोगों का धन चिंता है यहां तक की भिक्षुओं को भी धोखा देता है ऐसा व्यक्ति पतन कि और जाता है और यह उसे व्यक्ति के पतन का पांचवा करण है।छठे कारण पर चर्चा करते हुए तथागत ने कहा एक व्यक्ति धनवान है वह अपने कमाये हुए धान से स्वयं ही आनंदित रहता है उसका उपभोग वह खुद के लिए ही करता है अपने परिजनों को और संबंधियों को थोड़ा बहुत भी सुख नहीं देता वह किसी कल्याण के काम में हाथ नहीं बटाता है उसके सुख से उसके धनी होने से किसी को कोई लाभ नहीं होता है ऐसा व्यक्ति पतन की ओर जाता है फिर तथागत ने जिक्र करते हुए कहा कि एक ऐसा व्यक्ति जो अपने जन्म अपने कुल और अपनी गोत्र पर अभिमान करता है वह अपने श्रेष्ठ होने का दावा करता है कि मेरा कुल बहुत बड़ा है मेरा कुल बहुत ऊंचा है मैं जन्म से श्रेष्ठ हूं मेरा गोत्र सबसे ऊंचा है और ऐसा करते हुए वह अपने सगे संबंधियों का भी अपमान करता है जो व्यक्ति इस प्रकार का आचरण करता है उसका पतन होता है यह व्यक्ति के पतन का सातवां कारण है फिर तथागत ने कहा एक ऐसा व्यक्ति जो नशे में फंसा है जो जुआ ओर सटा भी खेलता है लॉटरी में धन लगता है और किसी भी प्रकार के दुराचार करते हुए संकोच अनुभव नहीं करता यह व्यक्ति के पतन का नवां कारण है आगे तथागत ने कहा कि एक ग्रस्त व्यक्ति जो परस्त्री का मन करता है दुराचार और वेभिचार करता है उसकी नैतिक पतन हो जाता है और ऐसे व्यक्ति का जीवन पतन की ओर ही जाता है वह निरंतर पतित रहता है यह पतन का दसवां कारण है फिर तथागत ने कहा एक वृद्ध व्यक्ति जो वृद्धावस्था में किसी नवयुक्ति को घर ले आता है उसके कारण वह द्वेष का शिकार होता है उसे नींद नहीं आती है वह निरंतर दुखी रहने लगता है और इस प्रकार वह पतन की ओर जाता है इसी द्वेष के कारण इसी ईर्ष्या के कारण वह व्यक्ति पतनायुक्त होता है और यह पतन का दसवां कारण है ।फिर तथागत ने कहा कि ऐसा व्यक्ति जो अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी ऐसी स्त्री या पुरुष को बना देता है जो फिजूल खर्ची करता है अनावश्यक मदौपर्दय धन को बर्बाद करता है उसके द्वारा कमाई हुई संपत्ति को निरंतर नष्ट करने का काम करता है यह व्यक्ति के पतन का 11 कारण है एक ऐसा व्यक्ति जो क्षेत्रीय वश में पैदा होता है जो क्षत्रिय कुल में पैदा होता है उसके अल्प साधन है उसके पास कोई सुखिया संपत्ति नहीं है वह मन में राजा बनने की इच्छा पर ले तो वह निरंतर दुखी रहता है और पतन का शिकार होता है यह व्यक्ति के पतन का 12 कारण है तब तथागत ने कहा कि है समण तू भी इन 12 कर्म को जान ले और इनसे बचने का उपाय जानकर इन पर विजय पाल जो व्यक्ति इन 12 करणो को जानकर इन पर विजय पा लेता है वह निरंतर सुखी रहता है और प्रगति की ओर ही आगे बढ़ता है प्रबुद्ध उपासक उपक्षिकाओं यह जो 12 कारण तथा कितने बताएं यह जीवन निर्माण के लिए बड़े महत्वपूर्ण है हमें एक-एक बिंदु को ठीक से समझना चाहिए और हमें स्वयं का भी अवलोकन करना चाहिए अपने आप को जानना भी चाहिए क्या इन 12 कर्म में से ऐसा कोई कारण तो नहीं है जो हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है अगर हमारे समझ में आता है तो हमें तुरंत उसका उपाय जान करके उससे बचने का उसे बाहर निकलना चाहिए निश्चित रूप से जो व्यक्ति इन 12 करणो को जान लेता है समझ लेता है तो यह आवश्यक है एक ग्रस्त व्यक्ति को जो प्रावासुत में बताए गए इन 12 कारण को समझना चाहिए और एक-एक करके निरंतर उपाय भी करनी चाहिए अगर व्यक्ति इनका अभ्यास करता है अगर वह अपने आचरण में उतरता है तो निश्चित रूप से उसका जीवन सुखद होगा सुंदर होगा और अनुकरणीय होगा तथागत की अनुकंपा निरंतर बनी रहे इसी मंगल कामना के साथ सबका मंगल हो!
